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Medicinal properties of Gourd-लौकी के औषधीय गुण

बहुत से लोगों को लौकी पसंद नहीं आती। लेकिन लौकी के फायदे बहुत से हैं। 

लौकी काटते समय थोड़ी लौकी कच्ची ही खा ले. ये बहुत मीठी लगती है. लौकी कद्दूकस करने पर उससे निकला पानी पी जाएँ. क्योंकि इसके बहुत लाभ है

लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्ध्‍दक, पित्‍त तथा कफनाशक और धातु को पुष्‍ट करने वाली होती है।
 

हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है।

खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। - हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्‍चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

लौकी में श्रेष्‍ठ किस्‍म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।

लौकी श्‍लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्‍छी मात्रा में मिलती है।

लौकी के बीज का तेल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करते है तथा हृदय को शक्‍ति देते है। यह रक्‍त की नाडि़यों को भी स्‍वस्‍थ बनाते है।

लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्‍ज, पीलिया, उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्‍तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।


अल्सर होने पर कुछ दिन सिर्फ लौकी खाने से यह ठीक हो जाता है.
 

लौकी के रस को सीसम के तेल के साथ मिलाकर तलवों पर हल्की मालिश सुखपूर्वक नींद लाती है।

लौकी का रस मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित बीमारियों में भी फायदेमंद है।

अगर आप एसिडीटी,पेट क़ी बीमारियों एवं अल्सर से हों परेशान, तो न घबराएं बस लौकी का रस है इसका समाधान।
 

केवल पर्याप्त मात्रा में लौकी क़ी सब्जी का सेवन पुराने से पुराने कब्ज को भी दूर कर देता है।
 

लौकी मस्तिष्क की गर्मी को दूर करती है।लौकी का रायता दस्तों में लाभप्रद है।
 

यकृत की बीमारी और पीलिया के लिये लौकी लाभकारी है।

लौकी के पत्तों को पीसकर लेप करने से कुछ ही दिनों में बवासीर नष्ट हो जाते हैं।
 

लौकी के छिलके से चेहरा साफ करने से चेहरे की गंदगी दूर होती है। त्वचा के रोम छिद्र खुल जाते हैं। चेहरे पर मुंहासे हों तो, इन मुहांसों पर लौकी और नींबू के रस का मिश्रण लगाएं। इससे आपको जरूर लाभ मिलेगा।

गर्मियों में लौकी को पीसकर पैर के तलवों पर मलें इससे पैरों की जलन शांत होती है।
 

लौकी के बीजों को पीसकर होठों पर लगाने से जीभ और होठों के छाले ठीक हो जाते हैं।
दमा या अस्थमा के लिए ताजी लौकी पर गीला आटा लेप लें, फिर उसे साफ कपडे़ में लपेटकर, भूभल (गर्म राख या रेत) में दबायें। आधे घंटे बाद कपड़ा और आटा उतारकर उस भुरते का रस निकालकर सेवन करें। लगभग 40 दिनों में इस रोग से छुटकारा मिल जाएगा।

बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लौकी पीसकर लेप करें और इसका रस निकालकर पिलाएं। इससे बिच्छू का जहर उतर जाता है।


कच्चे लौकी को काटकर उसकी लुगदी बनाकर घुटनों पर रखकर कपड़े से बांध लेना चाहिए। इससे घुटने का दर्द दूर हो जायेगा।


सिर्फ एक सावधानी बरते की लौकी कडवी होने पर उसका उपयोग ना करें .

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